'मर्डर टू देखने की क्या वजहें हो सकती हैं? महेश भट्ट के प्रॉडक्शन में बनी फिल्मों में खुलापन खूब होता है। मसलन 'जिस्म, 'पाप, 'मर्डर और अब 'मर्डर टू। इन सारी फिल्मों में सबसे ज्यादा याद रखा गया कमनीय काया दिखाने वाले कैमरे को। बिपाशा, उदिता और मल्लिका से होते हुए ये सफर अब जैक्लिन पर रुका है। वह खूबसूरत हैं और इस तरह के सीन, जिसमें अनड्रेस होना या किस करना शामिल है उन्होंने सहजता से अंजाम दिए हैं। पर क्या सिर्फ इसी वजह से ये फिल्म देखी जानी चाहिए। सीन तो कांतिशाह की फिल्मों में भी खूब होते हैं।
कॉकटेल कई फिल्मों का
फिल्म देखने की एक वजह क्राइम थ्रिलर में दिलचस्पी होना हो सकती है। मगर इस मोर्चे पर भी ये फिल्म कई फिल्मों का कॉकटेल नजर आती है। गौर फरमाइए। मेन प्लॉट 2008 में आई साउथ कोरिया की फिल्म 'द चेजरÓ से पूरा का पूरा उठाया गया है। अब इस मेन प्लॉट का भारतीयकरण कर दीजिए। एक विलेन है जो हिजड़ा है और 'सड़कÓ फिल्म में सदाशिव अमरापुरकर के महारानी वाले गेटअप में रहता है।हरकतें 'संघर्षÓ के लज्जाशंकर (आशुतोष राणा) की तरह करता है। वही पागलपन, वही वहशीपन। फिर भट्ट कैंप की ही पहले आ चुकी फिल्मों जैसा देखा-जाना हीरो है।मॉडल सी दिखती लड़की से प्यार करता है। झबरों से बाल और हल्की दाढ़ी रखता है। फिर किसी केस में फंस जाता है, या सॉल्व करने लगता है और आखिर में कामयाब हो जाता है। इमरान हाशमी नेरोलक पेंट की तरह हो गए हैं, सालों साल चले और एक सा रहे। इसके अलावा फिल्म में वही बीट वाला म्यूजिक है, जो इस बार ज्यादा हिट नहीं हुआ। चेज है, पुलिस है, मुंबई-गोवा है। यानी कुछ भी नया नहीं है, सिवाय एक चीज के। और वह चीज या कहें कि चरित्र या किरदार है प्रशांत नारायण का। उन्होंने फिल्म में धीरज पांडे नाम के साइको किलर का रोल प्ले किया है।भले ही ये किरदार 'सड़कÓ या 'संघर्षÓ की याद दिलाता हो, मगर सिहरन उससे भी ज्यादा देता है।इतने खूंखार और वहशी तरीके से उसे हत्या करते दिखाया गया है कि डर के साथ घिन्न भी आने लगती है।
कौन है ये प्रशांत नारायण
'फुलवा सीरियल में आप इन्हें देख रहे हैं। फुलवा के गुरु भइया जी। इससे पहले कई सीरियल्स में देख चुके हैं। फिल्म की बात करें तो दो-तीन हफ्ते पहले आई फिल्म 'भिंडी बाजारÓ में भी प्रशांत का अच्छा रोल था। पिछले साल आई प्रवेश भारद्वाज की फिल्म 'मिस्टर सिंह एंड मिसेज मेहताÓ में उनके लिए करने को कुछ था नहीं।मगर उनके लिए 'मर्डर टूÓ में धीरज पांडे का रोल माइलस्टोन साबित होगा। मर्डर के गाने भीगे होंठ तेरे को कत्ल के पहले जब प्रशांत अपनी पतली आवाज में गाते हैं, तो अंधेरा भी डर से कांपने लगता है। प्रशांत का किरदार धीरज अपनी औरत बाजी से इतना तंग आता है, कि हिजड़ों के पास जाकर कामुकता अनुभव करने की वजह ही खत्म कर देता है। मगर इससे उसके अंदर का वहशीपन खत्म नहीं होता। वो लगातार लड़कियों का कत्ल करता रहता है। कत्ल के दौरान वह कीर्तन में इस्तेमाल होने वाले वाद्ययंत्र चिमटे को यूज करता है। यहां बताता चलूं कि धीरज के किरदार को ऐतिहासिक अमेरिकी फिल्म 'साइलेंस ऑफ द लैंब्स के बफैलो बिल से ज्यादा से ज्यादा लिया गया है। यहां वह पेशे से मूर्तिकार है, तो बाकी औजारों को भी लड़की की बॉडी खोलने में काम लाता है। उसके कब्जाए घर में एक कुंआ है, जहां काले पॉलीथीन के ढेर पड़े हैं। कहने की जरूरत नहीं कि उनमें क्या है। इस पूरे मंजर को प्रशांत नारायण की हंसी, शांति और सीटी इतनी खूंखार बना देती है, कि आप सिनेमा हॉल में भी खौफ जैसा कुछ महसूस करने लगेंगे। मगर प्रशांत की एक्टिंग के सहारे फिल्म कितनी खिंचेगी।
कितने बरस, कितने दफा
जैक्लिन हैं, उनकी जगह कोई और भी हो सकता था। मतलब ये कि हिंदी सिनेमा की दूसरी फिल्मों की तरह भट्ट कैंप भी एक्ट्रेस को सिर्फ फिक्स सीन के लिए इस्तेमाल करता दिखता है। एक्टिंग जैक्लिन को आती नहीं, और इसकी उम्मीद भी नहीं थी। रेशमा नाम की कॉलेज गर्ल के रोल में नजर आई सुलग्ना पाणिग्रही निशा कोठारी जैसी दिखती हैं और उन्हीं की तरह जबरन मासूम दिखने की एक्टिंग करती हैं। फिल्म में कैमरा वर्क कहीं-कहीं रामगोपाल वर्मा के भुतिया सिनेमा के अंदाज में गहरे कुंए में उतरता है। इसके अलावा एक गुफा में चूहे श्रीराम राघवन की फिल्म 'एक हसीना थीÓ के क्लाइमेक्स की याद दिलाते हैं।प्रशांत नारायण के बंगले को तैयार करने में आर्ट डायरेक्टर में कमाल का काम किया है।इसमें कल्पनाशीलता कूट-कूटकर भरी नजर आती है। इसके अलावा फिल्म में ज्यादा कुछ नहीं है। स्टोरी स्लो हो जाती है, थैंक्स टु गाने एंड म्यूजिक, जो हाशमी के किरदार भागवत की गिल्ट दिखाने की कोशिश करते रहते हैं।
आखिर में
'मर्डर टू देख सकते हैं अगर टाइम पास करना हो, कुछ खुले सीन देखने हों या फिर एक साइको किलर के रूप में प्रशांत नारायण की एक्टिंग फील करनी हो। नहीं भी देखेंगे तो कुछ ज्यादा मिस नहीं करेंगे। बहुत हाइप वाली एवरेज मूवी है।
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