जिंदगी का रेला और चेहरों का मेला देखना हो, तो सफर करो। इस सफर के चक्कर में कई बार अंग्रेजी का सफर भी हो जाता है, मगर उसके भी अपने मजे हैं, वो कहते हैं न दर्द में भी कुछ बात होती है।
पिछले सैटरडे को मेरी ऑन्टी दिल्ली जा रही थीं, तो उनके साथ मैं भी चला गया। मनडे को वापस लौटा। शाम को आईएसबीटी पहुंचा और पालमपुर जाने वाली बस में सवार हो गया। एसी बस, दिन भर का थका था, सोचा अब सुकून से सोऊंगा। मगर यहां भी हमेशा की तरह एक ट्विस्ट था।
पालमपुर का नाम फस्र्ट टाइम राजा हिंदुस्तानी मूवी में सुना था। करिश्मा आन्टी वहां जाती हैं और राजा आमिर खान के प्यार में पड़ जाती हैं। बस में भी कुछ हीरो-हीरोइन बैठे थे, बोले तो न्यूली मैरिड कपल। एक कपल ठीक आगे बैठा था। पूरे रास्ते कूची-कू करता रहा। जो सज्जन बैठे थे, वो अपनी सजनी को कॉलेज के दिनों की कहानी सुना रहे थे। मैडम ने पूछा, वो श्वेता तुमसे इतना चिढ़ती क्यों है, पता नहीं यार। तुम्हारा उसके साथ कुछ चक्कर तो नहीं था। नहीं, लेकिन जब वो राजा मूवी आई थी न, तो उसमें एक गाना था न, नजरें मिलीं दिल धड़का, तो मैं श्वेता को और खुद को उस गाने में इमेजिन करता था। अरे मेरा बच्चा, पुच्च। सॉरी ये ब्रेक नहीं है, मगर सज्जन को उनकी सजनी की तरफ से दिया गया ब्रेक है। जब मैडम कहानी सुनकर या सुनाकर बोर हो जातीं, तो कपल गाने लगता, जोर से नहीं, मगर प्यार से।
मैं आपको लव स्टोरी सुनाकर बोर करने के मूड में नहीं हूं। इस पिक्चर में धांसू एक्शन भी है। बस की दाईं रो में दो सीट आगे एक और कपल बैठा था। सज्जन जिन्हें कुछ देर बाद आप दुर्जन के रोल में देखेंगे, तेरे नाम के राधे भइया टाइप बाल रखे और दारू पीकर टाइट, उनके साथ उनकी सजनी। उन्हें देखने से ही लग रहा था कि अभी शादी हुई है। साथ में एक अंकल भी थे।
तो बस चली, साथ वाले अंकल खड़े हुए और अपने लेफ्ट साइड में बैठे दो फॉरेनर्स से बोले कि दिस इज माई सीट। उन शरीफ विदेशियों ने अपने रिजर्वेशन दिखा दिए। अंकल बोले, डीसीपी हूं, चौकी में गाड़ी रुकवा सकता हूं, मगर कोई नहीं अडजस्ट कर लेते हैं। मुझे लगा कि ये क्या कोई एक्शन ही नहीं। बस माहौल टाइट हो रहा है। मगर राधे भइया अभी तैयारी में थे। कुछ ही देर में बस में भद्दी गालियां गूंजने लगीं। राधे भइया को उनकी सजनी पीटने में लगी थीं। कभी मुंह में हाथ रखतीं, तो कभी घर फोन कर पापा को शिकायत करतीं कि सो एंड सो अंकल ने इनको ड्रिंक करा दिया और अब ये बस में तमाशा कर रहे हैं। भइया से पूछा गया कि तमाशा क्यों भाई, तो बोले कि ये विदेशी हिंदुस्तान को गाली दे रहे हैं। देशप्रेम जाग गया भइया का दारू पीकर। 10 मिनट तक लोग सुनते रहे। फिर आगे से एक सज्जन जो सही में सज्जन थे, खड़े हुए और बोले भाई साहब आप चुप रहें, मेरी पत्नी और छोटी बच्ची है। अपनी जबान संभालें। मेरे ठीक बगल वाली सीट एक मैडम और उनकी मां बैठी थीं। कुछ देर पहले किसी खान बाबा से बड़े अदब से बतिया रही थीं। अब उन्हें भी गुस्सा आ गया। और वो भी चीखने लगीं। कंडक्टर बाबू आए और ऐसे एक्ट किया गोया सब कुछ ठीक हो गया है अब तो। वैसे बाद में पता चला कि ये कपल भी शहद चांद के लिए जा रहा है।
इंटरमिशन के पहले एक और ट्विस्ट सुन लीजिए। रास्ते में कपल में फिर झगड़ा हुआ, इस बार मसला ये रहा कि सजनी ने दुर्जन सज्जन की क्लास लगा दी कि तुमने अंकल को 3800 रुपये क्यों दिए। फिर गाली-गुल्ला और फिर कंडक्टर की सुस्त एंट्री।
उफ्फ एक ही टिकट में कितना कुछ। लाइफ की पिक्चर ऐसी ही होती है भाई।
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